एमपीसीसी की खुद की स्वीकृति ही 31 मार्च 2024 तक है, कम्पनी कैसे जारी कर रही 2025 तक के प्रमाण पत्र ?
चंद्र प्रकाश बुडाकोटी
देहरादून (सक्षम उत्तराखण्ड ) । उत्तराखंड के देहरादून गढ़वाल मे (बीएमडब्लू बायोमेडिकल बेस्ट) को लेकर हमेशा से ही सवाल खड़े होते रहे है। गढ़वाल मंडल मे एमपीसीसी वेस्ट उठान और निपटान का कार्य करती है। इकलौती कम्पनी होने के चलते इसकी मनमानी लगातार सामने आती रही। कभी इसके गैराज जीएमएस रोड देहरादून मे बिखरा बायोमेडिकल वेस्ट सामने आने पर भारी जुर्माना , तो कभी कम्पनी अपनी गाड़ियों मे जिला अस्पताल लिखवाकर सुर्खियों मे रही। लेकिन इस बार सवाल बड़े हैरान, चौकाने वाले और गंभीर है। बायोमेडिकल बेस्ट उठान और निपटाने मे लगी कम्पनी अपने संचालन स्वीकृति तिथि से आगे के प्रमाण पत्र जारी करने लगी जो को नियमो का खुल्लेआम उलंघन है। दरअसल एमपीसीसी के पास प्रदूषण बोर्ड से अभी 31 मार्च दो हजार चौबीस तक का ही कंसेंट है। यानि उसकी अनुमति ही 2024 मार्च 31 है, लेकिन कम्पनी ने अस्पतालो व क्लीनको को दो हजार पचीस तक के प्रमाण पत्र बांट दिए है। जो नियम बिरुद्ध है, बड़ा सवाल यह है की जब कम्पनी का खुद की ही प्रदूषण बोर्ड से एनओसी कंसेंट अभी दो हजार चौबीस मार्च तक की ही है तो वह किस आधार पर अस्पतालो क्लिनिको को दो हजार चौबीस -पचीस के प्रमाण बांट सकता है ? यह सब देख प्रदूषण बोर्ड के अफसर भी हैरान है। बोर्ड मुख्यालय के अधिकारी कहते है कि किसी भी सूरत मे ऐसा नहीं हो सकता यह पूर्णतः नियम के खिलाफ व अवैध है । कंपनी की जब तक एनओसी है उसी दिन तक का प्रमाण दे सकती है। मेडिकल कचरा उठान और निपटान मे लगी कम्पनी की शिकायत कुछ जागरूक लोगो ने शासन और सीएम कार्यालय मे भी की है। यही नहीं प्रदूषण बोर्ड मुख्यालय स्तर से भी एक अन्य प्रकरण मे जाँच गतिमान है । सही दिशा मे अगर जाँच रही तो एक बार फिर भारी जुर्माना लगना तय है। जब इस संबंध मे कम्पनी संचालको से बात करने का प्रयास किया गया तो उनका फोन नं स्विच आफ बताता रहा जैसे ही उनसे सम्पर्क होगा उनका पक्ष भी रखा जायेगा ।
क्या कहते है बोर्ड अफसर
प्रदूषण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी देहरादून आर के चतुवेदी कहते है कि एमपीसीसी को 31 मार्च 2024 तक की एनओसी कंसेंट जारी किया गया है। आगे कम्पनी को फिर अप्लाई करना होगा। अगर अस्पतालो और क्लिनिको को साल 2024 -25 या उससे आगे के प्रमाण पत्र कम्पनी द्वारा दिए गए है तो वह नियम बिरुद्ध है। कम्पनी को जब तक की एनओसी दी गई है, उसी तिथि तक के प्रमाण पत्र जारी करा सकती है