मयंक सिंघल को निलंबित नहीं किया जाता है तो उक्रांद विधानसभा के भीतर ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों को प्रवेश नहीं करने देगा- बिष्ट
देहरादून। उतराखंड क्रांति दल के पूर्व केंद्रीय अध्यक्ष युवा प्रकोष्ठ राजेंद्र सिंह बिष्ट ने विधानसभा अध्यक्ष रीतू खंडूडी द्वारा प्रोटोकॉल अधिकारी मयंक सिंघल के कूट रचित दस्तावेजों की जाँच को खानापूर्ति बताया, उक्रांद द्वारा इस विषय पर विधानसभा अध्यक्ष रीतू खंडूडी को पूर्व में अवगत किया गया था, बिष्ट ने कहा कि 2006 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार में विधानसभा अध्यक्ष यशपाल आर्य व तत्कालीन विधानसभा सचिव के अधिष्ठान अनुभाग के कार्यालय आदेश पत्रांक संख्या 939/ वि. स. 339/ अधि0/2006 के अनुसार 27 जुलाई 2006 को मयंक सिंघल की नियुक्ति उप प्रोटोकॉल अधिकारी के 01 अस्थायी पद के सापेक्ष इस आशय से थी कि लोक सेवा आयोग से उपयुक्त अभ्यर्थी उपलब्ध होने पर उनको हटा दिया जायेगा, बिष्ट ने कहा कि लोक सेवा आयोग की परिधि में आने वाले पद की गरिमा भी धूमिल की गयी, विधानसभा कार्यालय आदेश में स्पष्ट था कि मयंक सिंघल को नियुक्त होने के 15 दिन के भीतर अपने शैक्षिक योग्यता संबंधी प्रमाण पत्रों की वैधता संबंधी प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होगा, लेकिन यह विचारणीय विषय है कि विधानसभा में उनके प्रमाण पत्रों की जांच करने वाले अधिकारियों ने तब उनके कूट रचित शैक्षिक दस्तावेजों पर कोई कारवाई नहीं की ।
उतराखंड क्रांति दल ने इस विषय को लेकर जब प्रेस के माध्यम से एवं विधानसभा अध्यक्ष को जाँच के लिए ज्ञापन सौपा, तो उन्होंने औपचारिक रूप से जाँच की बात कही, बिष्ट ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष तत्काल इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए जाँच समिति बिठाए, जो 15 दिन के भीतर जाँच प्रस्तुत करे, जिसमें प्रोटोकॉल अधिकारी मयंक सिंघल के शैक्षिक दस्तावेजों की जाँच के साथ ही प्रथम विधानसभा से अभी तक नियुक्त सभी तदर्थ रूप से तथा विचलन से लगे कर्मचारियों के शैक्षिक दस्तावेजों की जाँच हो, तथा जाँच पूरी होने तक मयंक सिंघल को निलंबित किया जाए, उन्होंने कांग्रेस के तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष यशपाल आर्य एवं सचिव को जिम्मेदार मानते हुए कहा कि विधानसभा में भाई भतीजवाद को बढ़ावा देकर उन्होंने अपने पद की गरिमा का दुर्पयोग किया,उन्होंने कहा कि यदि विधानसभा अध्यक्ष एक सप्ताह के भीतर इस पर जाँच कमिटी बिठाकर निलंबन का आदेश सार्वजनिक नहीं करती है तो राज्य के युवाओं के रोजगार पर मयंक सिंघल जैसे कूट रचित दस्तावेजों से नियुक्ति पाने वाले भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ उक्रांद उग्र आंदोलन के लिए बाध्य होगी। एक तरफ राज्य में युवा रोजगार के लिए भटक रहे हैं लेकिन राष्ट्रीय दल भाई भतीजावाद को बढ़ावा देकर अयोग्य पात्रों का चयन कर रहे हैं, पूर्व में सेवा निवृत वन संरक्षक जय राज सिंह की अध्यक्षा में समिति गठित की गयी थी, जिनका कार्य विधानसभा में अवैध भर्तियों की जाँच, शैक्षिक दस्तावेजों की जाँच करना था, लेकिन उन्होंने खाना पूर्ति करते हुए इस विषय को ठन्डे बस्ते में डाल दिया।
उक्रांद के पूर्व केंद्रीय अध्यक्ष युवा प्रकोष्ठ राजेंद्र सिंह बिष्ट ने अवैध नियुक्ति के इस विषय को उजागर किया था, बिष्ट ने कहा कि मयंक सिंघल के विषय में यह साफ है कि जिस विश्वविद्यालय से उन्होंने हाई स्कूल एवं इंटर की अधिकारी एवं पंडित परीक्षा उत्तीर्ण की , उस विश्वविद्यालय ने कभी भी प्राइवेट परीक्षा कराई ही नहीं, ऐसे में कूट रचित तरीके से शैक्षिक दस्तावेज बनाने के आरोप में अधिकारी पर उचित धाराओं में मुकदमा दर्ज किया जाए, एवं अभी तक जितना लाभ उन्होंने लिया है, उसकी पूर्ति की जाए, साथ ही यह शासनादेश में स्पष्ट है कि लोक सेवा आयोग से इस पद की नियुक्ति की जायेगी, अतः योग्य पात्र को प्रोटोकॉल अधिकारी, वेतन आहरण अधिकारी के पद पर नियुक्त किया जाए,बिष्ट ने कहा कि यदि एक सप्ताह के भीतर इस पर जाँच समिति नहीं बिठाई जाती तथा जाँच पूर्ण होने तक मयंक सिंघल को निलंबित नहीं किया जाता है तो उक्रांद विधानसभा के भीतर ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों को प्रवेश नहीं करने देगा व इसकी संपूर्ण जिमेदारी विधानसभा अध्यक्ष की होगी, उन्होंने कहा कि उक्रांद राज्य में भ्रष्ट अधिकारियों से भ्रष्टाचार मुक्त करने के लिए सदा संघर्ष रत रहेगा।