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मंगलेश डंगवाल ने बताया कि यह रचना वैदिक परंपरा पर आधारित है जो उत्तराखण्ड की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, जन कल्याण और आध्यात्मिक परिवेश के लिए समर्पित है।
इस अवसर पर अजीत राणा, सुभाष भट्ट, राकेश उनियाल, प्रद्युम्मन असवाल आदि उपस्थित थे।